शनिवार, 19 अप्रैल 2014

बुन्देलखण्ड की शान झांसी

झांसी एक खूबसूरत शहर है, यहां कई संस्क्रतियों का संगम है, यहां मराठी समाज है तो काली बाडी भी है, एशिया का सबसे बडा चर्च है तो स्टेशन वाले बाबा की मजार पर गुरुवार को दर्शन के लिये लगने वाली लम्बी लाईन भी है, गणेश उत्सव और उस से २०-२५ दिन बाद ही नव दुर्गा यहां खूब धूमधाम से मनाया जाता है, लोग अंग्रेजी नव वर्ष की शुरुआत भी राम राजा सरकार के दर्शन से करते हैं, नव देवी, गणेश जी की स्थापना हो या अग्रसेन महाराज की जयंती, सिक्खों का गुरु पर्व या सेंट ज्यूड फीस्ट या फिर मोहर्रम का जलूस सब कुछ धूमधाम से प्रेम पूर्वक मनाया जाता है,

एतिहासिक तौर पर झांसी का इतिहास १२वीं शताब्दी से भी पुराना जान पडता है, लहर की देवी, कैमासन वाली माता ऐसे कई मन्दिर हैं जो उस काल खंड के बने हुए हैं, शहर क्षेत्र की हर गली स्वंय में एक इतिहास समेटे हुए है, ढप्पी और दाऊ के समोसे की पुरानी और प्रसिध्द दुकानें बताती हैं कि यहां के लोग समौसे का नाश्ता करना पसन्द करते थे, जो आज तक अनवरत तौर पर चला आ रहा है

झांसी में हर कोई इतना खास है कि खास लोगों कि कोई खास कद्र नहीं करता, मेरा व्यक्तिगत अनुभव है और घर के पुराने लोग बताते हैं कि दद्दा ध्यान चंद भी उनका अंतिम समय आम जीवन जीते हुये बिता गये, ये उनकी खासियत थी की वो खास नहीं बने या यहां की आम जनता की खासियत कि उन्हें खास बनने नहीं दिया, ये शोध का विषय हो सकता है, खैर वो आज भी हर झांसी वासी की नजर में एक हीरो हैं, और सभी उन का नाम बडे ही गर्व से लेते हैं

ऐसे ही कई खास लोग झांसी से संबन्ध रखते हैं, जिनका नाम इतिहास में अमर हुआ (मैथली शरण गुप्त, व्रंदावन लाल वर्मा आदि) किन्तु झांसी वासियों के बीच में उन्होंने कभी खास होने का प्रदर्शन नहीं किया, वैसे झांसी वासी इन सभी विभूतियों का दिल से बहुत आदर करती है, शायद बुन्देलखंडी अक्खडपन हो या दिखावा ना करने की आदत इस आदर का प्रदर्शन कोई कभी नहीं करता,

और कई अन्य खासियत इस प्रकार हैं जिनको दरकिनार नहीं किया जा सकता :

युवा लोग नियम से शाम को घर से बाहर रहते हैं और सिर्फ घूमने के लिये आधे शहर का चक्कर काट लेते हैं,
यहां हर दूसरा लडका नेता है हर तीसरा लडका रेल मंत्री है,

लोग चाहे पंजाबी, मराठी, कानपुरिया, बंगाली हों खुद के बुंदेलखंडी होने पर उतना ही गर्व करते हैं जितना रानी लक्ष्मी बाई वाले झांसी के निवासी होने का

यहां पर पुरानी और नयी संस्क्रती का संगम है, नये जमाने के जिम हैं तो पुराने जमाने के अखाडे भी हैं
आस पास में घूमने के लिये कई सारे मन्दिर, बांध और बाग बगीचे हैं

और हर किसी के पास कुछ खास दोस्त हैं यही वजह हैं जिन की वजह से सभी झांसी से अत्यधिक प्रेम करते हैं

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